
नशा मुक्ति जागरूक अभियान चलाने का ढिंढोरा नौटंकियां
नशा मुक्ति जागरूक अभियान चलाने का ढिंढोरा नौटंकियां नशा मुक्ति जागरूक अभियान चलाने का ढिंढोरा नौटंकियां
नशा मुक्ति अभियान (NMBA) मादक पदार्थ के सेवन से होने वाली गम्भीर शारीरिक सामाजिक मनोवैज्ञानिक उत्पन्न समस्याओ से जागरूकता के लिए चलाया जाता जिसमें नशीली दवाइयों के दुरुपयोग खिलाफ सामुहिक रूप से प्रतिज्ञा लिए कार्यक्रम नवयुवा-युवतीयो और बच्चों के बीच होना जरुरी है।नशा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है गम्भीर बिमारी के लिए जिम्मेदार की जानकारी होने के बाद भी पढ़ें लिखे शिक्षित एमबीएस डॉक्टर लोग डुबे हुए तम्बाकू वाले पाउच गुटखा बिड़ी सिगरेट पीना पिलाना शान बड़प्पन समझते हैं। गम थकान दर्द दूर करने के लिए दर्द-निवारक रुप अधिकांश लोग नशा करते नशेड़ी बन जाते और अपने आप को बर्बाद गम्भीर बिमारी को न्यौता देकर खुशीया दिखाने के लिए नशाओ की पार्टीया करते खुद और परिजनों को परेशानियों डालते है।मादक पदार्थ चरस, अफीम बड़े वाहन ट्रक चालक रात में खाकर चलते नशे में दुर्घटनाग्रस्त होते है, युवा कोकीन चरस का सेवन करके बर्बाद हुए है धर्म के आड़ में भोले नाथ के नाम पर गांजा भांग सेवन करते है भोलेनाथ धार्मिक यात्रा ओ में हर-हर महादेव के नाम शराब पीते है साधु, नागाबाबा अंधविश्वास का बढ़ावा देते भोलेनाथ का प्रसाद कहते है होली जैसे फुल्लरबाजी त्यौहारो में होली है बुरा मत मानो अश्लीलता का प्रदर्शन करते मजा लेते त्यौहार मनाते है शराबी नशेड़ी अय्याशी सामाजिक व्यवस्था को मानने पुजने वालो का परिवेश समझा जा सकता है। बुद्ध काल के पुर्व आर्यो की सामाजिक व्यवस्था में सुरक्षा(शराब) पीना जुआ खेलना अपराध नही प्रतिष्ठा माना जाता था। बुद्ध सामाजिक व्यवस्था सुरा मज्जा प्रेम ढाना वेरमणी सिक्खा पदम् समाधवाणी शील का पालन होता था।बोतल को खाली खरीदने वालों ने बंगले बना लिए लेकिन शराब पीकर खाली करने वाले बर्बाद हो गये। क्रोध वादवाद लड़ाई झगडे मारपीट हत्या बलात्कार अपराध का जन्म दो-चार पहिए वाहन दुर्घटनाए नशा के सेवन से ही होता है। नशे से वोट खरीदा जा सकता है। उत्पाद मचाया जा सकता है। हमारी सरकारें नशा मुक्ति जागरूक अभियान चलाने के बावजूद काफी हद तक जिम्मेदार भी है। हमारे देश में देशी विदेशी और कच्ची शराब का सेवन होता है कच्ची शराब महुआ के भाप से तैयार तेज नशीला होता है,वहीं राज्य सरकारें गन्ने का गुड़ का देशी, गेहुं जौ मक्का अनाज से विदेशी शराब का उत्पादन करते तथा लाइंस उपलब्ध कराकर देते हैं।नशा उत्पादन बेचन और सेवन करना अपराध है लेकिन राज्य सरकारें ही लाइंस देती है।नशा मानसिक विचलन गुलाम दास गरीब बनाने के लिए आवश्यक है।और अधिक राजस्व प्राप्त करने का स्रोत होने की वजह से प्रतिबंध लगाने से बचती है।और जगह जगह गली-मोहल्लों में शराब की दुकान लगाती परमिशन देती है।नशा मुक्ति जागरूक अभियान चलाने का ढिंढोरा नौटंकियां करती रहती है।