
*||”दाढ़ी पर हमला, शरीयत पर हमला: मुस्लिम संगठनों की चुप्पी पर उठे सवाल”||*
“दाढ़ी पर हमला, शरीयत पर हमला: मुस्लिम संगठनों की चुप्पी पर उठे सवाल”
✍️ मोहम्मद उवैस रहमानी 9893476893/9424438791
भोपाल।बीते दिनों मंगलवारा थाना क्षेत्र में हुए गोलीकांड के बाद पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह कार्रवाई कानून व्यवस्था की दृष्टि से सराहनीय मानी जा रही है। लेकिन इस पूरी कार्रवाई के बीच एक ऐसा सवाल भी उठ खड़ा हुआ है, जो मुस्लिम समाज और उसके ठेकेदार कहे जाने वाले संगठनों की चुप्पी को उजागर कर रहा है।
गिरफ्तारी के बाद आरोपियों की दाढ़ी काटी गई — एक ऐसा कृत्य जो न केवल शरीयत के अनुसार अनुचित है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के भी विरुद्ध है। इस पर मुस्लिम समुदाय के प्रमुख संगठन और धर्म के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले नेता अब तक खामोश है,
क्या कोई भी अपराधी कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसकी धार्मिक पहचान के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाना जायज़ है? क्या दाढ़ी काटना शरीयत पर सीधा हमला नहीं है? अगर हाँ, तो फिर वह तमाम मुस्लिम संगठन, जो अकसर इस्लाम और शरीयत की दुहाई देते हैं, आज क्यों मौन हैं?
यह सवाल अब आम मुसलमानों के बीच भी उठने लगा है कि क्या उनका प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों की आवाज सिर्फ मंचों तक सीमित है? जब किसी मुसलमान की धार्मिक पहचान के साथ इस तरह की ज्यादती होती है, तो इनकी भूमिका क्यों गायब हो जाती है?
यहाँ कोई भी अपराध का समर्थन नहीं कर रहा, लेकिन अपराधी को सज़ा कानून के दायरे में होनी चाहिए — न कि उसकी धार्मिक पहचान को निशाना बनाकर। शरीयत और संविधान दोनों का सम्मान ज़रूरी है। आज जरूरत है कि मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि इन गंभीर सवालों का जवाब दें और निडर होकर गलत के खिलाफ आवाज़ उठाएं — फिर चाहे वह किसी के खिलाफ ही क्यों न हो।
_”दाढ़ी पर हमला केवल बालों पर नहीं, एक पहचान पर वार है — और इस चुप्पी के पीछे का डर अब सवाल बन गया है।”_