भोपाल: कोतवाली थाना में महिला के साथ बर्बरता, यौन उत्पीड़न की धमकी और अमानवीय मारपीट का आरोप

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भोपाल: कोतवाली थाना में महिला के साथ बर्बरता, यौन उत्पीड़न की धमकी और अमानवीय मारपीट का आरोप

✍️ मोहम्मद उवैस रहमानी 9893476893/9424438791

*भोपाल*, 25 मई 2025: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से मानवाधिकारों को झकझोर देने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। धोबी घाट, पात्रा निवासी नसीम बानो (उम्र 40 वर्ष) ने कोतवाली थाना के पुलिसकर्मियों, विशेषकर जीतेन्द्र राठौर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की है। महिला ने अपने साथ हुई बर्बरता और अत्याचार को लेकर प्रशासन और मानवाधिकार आयोग से न्याय की गुहार लगाई है।

*पीड़िता के अनुसार,* यह घटना 23 मई 2025 की है जब एक फर्जी बहाने से उन्हें “भारत तकीज़” बुलाया गया, जहां पहले से मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरन पकड़कर कोतवाली थाना, इब्राहिमपुरा ले जाया। थाने में महिला के साथ जो कुछ हुआ, वह न केवल कानून बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार करने वाला है।

*नसीम बानो का कहना है* कि एक बंद कमरे में उन्हें बेरहमी से पीटा गया, चिमटियाँ काटी गईं, शरीर के संवेदनशील अंगों को नोंचा गया और दाँतों से काटा गया। उन्हें गालियाँ दी गईं और बलात्कार की धमकियाँ दी गईं। “तुझे पूरी रात रेप करेंगे” जैसे अमानवीय शब्दों का इस्तेमाल कर उन्हें मानसिक रूप से तोड़ा गया। यहां तक कि उनके प्राइवेट पार्ट्स पर हमला किया गया और मुँह में लाठी डालने जैसी क्रूरतम हरकत की गई।

 *घटना की जड़ें* 15-16 फरवरी की रात से जुड़ी हैं, जब पीड़िता के पति मोहम्मद असद को गुफा मंदिर, टी.बी. हॉस्पिटल के पास एक मोबाइल कचरे में पड़ा मिला था। उन्होंने वह मोबाइल घर लाकर उसमें सिम डाल ली थी। जब यह बात नसीम बानो को पता चली, तो उन्होंने मोबाइल एक मेडिकल दुकानदार को यह कहकर सौंपा कि वह उसे तलैया थाने में जमा करवा दे। लेकिन दुकानदार ने ऐसा नहीं किया।

 *अब इस पूरे घटनाक्रम* के बहाने नसीम बानो को निशाना बनाया गया और उनके साथ पुलिसकर्मियों ने जो क्रूरता की, वह मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का उदाहरण है।

*नसीम बानो ने प्रशासन से की न्याय की माँग* 

पीड़िता ने अपने आवेदन में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल और सख्त कानूनी कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, यौन और संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए उन्हें बर्बरता का शिकार बनाया।

 *मानवाधिकार संगठनों की निगाहें* 

इस घटना के उजागर होते ही कई मानवाधिकार संगठन इस पर संज्ञान लेने की तैयारी में हैं। भोपाल के नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी घटना की निंदा करते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है।

*यह मामला* न केवल पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून की रक्षा करने वाली संस्था के भीतर ही यदि महिलाएं असुरक्षित महसूस करें, तो न्याय की उम्मीद कहाँ से की जा सकती है?

 

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