
अमित शाह का आम्बेडकर फैशन वाला बयान गलत और विवास्पद ।
अमित शाह का आम्बेडकर फैशन वाला बयान गलत और विवास्पद ।
केंद्र के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में संविधान पर चर्चा करते हुए बाबा साहेब आंबेडकर का नाम लेकर कहा कि इन दिनों बाबा साहेब आंबेडकर एक फैशन बन गया है इनकी जगह भगवान का नाम लिया होता तो स्वर्ग मिल जाता। जिसके बाद पुरा विपक्ष कहने लगा कि गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का अपमान किया है, आरोप प्रत्यारोप में अमित शाह को इस्तीफा मांगना शुरू हो गया। गृह मंत्री अमित शाह का आम्बेडकर फेशन वाला बयान गलत है। विवादास्पद है, कोई आम्बेडकरवादी बर्दाश्त नहीं करेगा। आम्बेडकर आदर्शवादी समाता मुल्क समाज के समर्थक थे।मानवतावादी विचारधारा समता स्वतंत्रता बंधुत्व न्यायिक क्रांति है जिसने 3600 सालों की अमानवीय वैदिक ब्राहम्णी व्यवस्था को आधारहीन खत्म कर शुद्र वंचित पिछड़े एससी एसटी ओबीसी पुरुष महिलाओं को गुलामी से मुक्त किया था। और देश का संविधान लिखकर लोकतंत्र स्थापित किया एक वोट एक मुल्य का अधिकार दिया। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का नाम लेने और अभिवादन करने से नई उर्जा और प्रेरणा मिलती है। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर कोई फैशन नहीं है दलित शुद्र वंचित बहुजन समाज के भगवान तुल्य है पुज्यनिय है। और नेहरू मंत्रिमंडल में बाबासाहेब आंबेडकर का इस्तिफा देने की वजह हिन्दू कोड बिल पास न होना था हिन्दुओ को लेकर कायदे कानून बनाये जाने को लेकर था।जिसका विरोध संसद में हिन्दुविचारधारी जनसंघी श्यामाचरण मुखर्जी जैसे लोग थे। संसद के बाहर संत हरिहरानंद सरस्वती उर्फ करपात्री महाराज के नेतृत्व में हिंदू महासभा स्वयं सेवक संघ ने विरोध किया था। हिन्दू कोड बिल को लेकर नेहरू को आमने-सामने चुनौती दी थी। और नेहरू जी ने बील को कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया था। खराब स्वास्थ्य की वजह भी डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का इस्तिफा था। बाबा साहेब आंबेडकर को भारत रत्न भाजपा ने नही दिया है वीपी सिंह की सरकार ने पासवान और प्रकाश आम्बेडकर की वजह से मिला है। बगल मे छुरी मुंह में राम कहावत भाजपा पर फिट बैठती है। इतिहास गवाह है कि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा बनाए संविधान का और तिरंगे का विरोध आर एस एस करती रही है और राष्ट्र भक्त भी बनी हुई है। पुरा देश जानता है कि उनके चुने हुए सांसद संविधान की जगह मनुस्मृति लागू लाने की बात करते हैं और हम संविधान के सबसे बड़े रक्षक बनते है। भाजपा भी राजनीतिक के लिए डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का नाम लेते थकती नहीं है।