
चुनाव पांच साल में एक बार आने वाला जनता का महत्वपूर्ण त्यौहार मनमुताबिक जन सेवक प्रतिनिधि चुनने का अवसर होता है। लेकिन भविष्य में यह मौका मिलेगा या नही मिलेगा ??
चुनाव पांच साल में एक बार आने वाला जनता का महत्वपूर्ण त्यौहार मनमुताबिक जन सेवक प्रतिनिधि चुनने का अवसर होता है। भविष्य में यह मौका मिलेगा या नहीं ?
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने में कुछ दिन बाकी है, और इस 2024 लोकसभा चुनाव में ईवीएम मशीन से होगा या बैलेट पेपर से होगा कहना मुश्किल है। क्योंकि ईवीएम मशीन हैक होने और वोटिंग गड़बड़ी हेराफेरी शिकायत ने ईवीएम मशीन के खिलाफ जोर पकड़ा हुआ है, विपक्षी राजनीतिक दलों का आरोप है कि ईवीएम मशीन हैक करके भाजपा चुनाव जीत रही है। लोकतंत्र की हत्या हो रही है।ईवीएम मशीन के खिलाफ आम लोगों ने तक मोर्चा खोले हुए है। सुप्रीम कोर्ट के वकीलो ने 2024 का चुनाव ईवीएम मशीन से नहीं होने की चेतावनी भारत मुक्ति मोर्चा के नेता वामन मेश्राम ने ईवीएम मशीन तोड़ने की धमकी देने का सोशल मीडिया में समाचार चर्चा बना हुआ है। ईवीएम मशीन की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग चुनाव आयुक्त से की जा रही है मामला सुप्रीमकोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुरक्षित करके रखा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति दिलों को पिछले दरवाजे से मिलने वाले चंदा इलेक्ट्रॉनिक बोन्ड पर जिस प्रकार फैसला सुनाया है काबिल तारीफ है ईवीएम मशीन के मामले में भी इसी तरह ही काबिल तारीफ फैसले का इंतजार की आशा की उम्मीद लगाए हुए है। जनप्रतिनिधि का अर्थ है लोकप्रतिनिधि जनता का सेवक होता है। राजनैतिक दलों को प्रत्याशी बनाए जाने उतारने के पुर्व प्रत्याशियों का शिक्षा, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति का आकलन करना चाहिए, लेकिन राजनीतिक दल जिताऊ चापलूस दलाल, विशेष साम्प्रदायिक कारोबारी पुंजीपति नौकरशाहो को ही प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारती है। वर्ष 2019 के लोकसभा में बैतूल हरदा लोकसभा अनुसूचित जनजाति सीट से गायत्री परिवार, शिक्षक संघ, भाजपा और आर एस एस से सक्रिय रूप से जुड़े हुए मिट्टी का ढेला शिक्षक डीडी ऊईके को प्रत्याशी बनाया इसी प्रकार भाजपा ने 2009,2014 में गैर आदिवासी फर्जी सार्टिफिकेट वाली श्रीमती ज्योति धुर्वे को प्रत्याशी बनाया सांसद निर्वाचित हुए है।देखा जाए 1968 के दशक में कांग्रेस के निर्वाचित सांसद सदस्य एन के बी साल्वे के प्रयास से बैतूल जिले को पावरहाउस कोयला खदानों की जो सौगात मिलने के उपरांत रोजगार के अवसर खुले हैं उसके बाद लोकप्रतिनिधि के नकारापन से रोजगार से हरा-भरा रहने वाला बैतूल लोकसभा क्षेत्र उजड़ा चमन हो गया है। देश की राजनीति परिस्थिति देश में सरकारी सार्वजनिक संस्थान पर निजी लोगों अधिकार हो रहा, बड़े कारोबारीयो बेचे जा रहा है नीतियां उनको ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही है।आम लोग रोजगार से दूर गरीब हो रहे है शिक्षा पर निजी लोगों का वर्चस्व होने गरीब के बच्चे उत्तम शिक्षा से दूर हो रहे है और बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा लिखित संविधान खतरे में है। लोकप्रतिनिधि मानवीय शिक्षा से भरपूर स्वाभिमानी निस्वार्थी राष्ट्रहित भाव रखने वाला होना चाहिए चाहिए।हर किसी को यह सोचना है कि स्वास्थ्य के लिए हास्पीटल पेट की रोटी के लिए रोजगार चाहिए या राममंदिर चाहिए? मप्र में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता जो एक सिक्के दो पहलू है, एक नागराज तो दुसरा सांपनाथ दोनों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गरीबों का खुन चुसते है। लोकसभा चुनाव का समय धीरे-धीरे नजदीक आते जा रहा है। राजनैतिक दलों ने अपनी चुनावी बैठकें चुनावी रणनीति बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव पांच साल में एक बार आने वाला जनता का महत्वपूर्ण त्यौहार मनमुताबिक जन सेवक प्रतिनिधि चुनने का अवसर होता है।