
बी टी एक्ट 1949 रद्द करके बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति का पूरा प्रबंधन बौद्धों को सौंप दिया जाए -आकाश लामा
बी टी एक्ट 1949 रद्द करके बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति का पूरा प्रबंधन बौद्धों को सौंप दिया जाए -आकाश लामा
दिल्ली ।ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम एवं सभी बौद्ध संगठनों द्वारा आयोजित की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम के महासचिव सिरी आकाश लामा ने कहा कि विश्व में बौद्धों के सर्वोच्च पावन ऐतिहासिक स्थान बोधगया का महाबोधि महाविहार जहां पर दुनिया भर के देशों से बौद्ध भिक्षु भिक्षुणी उपासक उपासिका श्रद्धालु हर दिन आते है। लेकिन सबसे हैरान करने और दुख वाली बात है कि महाबोधि महाविहार का प्रबंधन गैर बौद्धों के पास है। तत्कालीन बिहार सरकार ने बी टी एक्ट 1949 के द्वारा इस पवित्र स्थान को गैर बौद्धों के हवाले कर दिया है, जो सभी धार्मिक कार्य तथागत बुद्ध की विचारधारा के विपरित करके अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे है। उन्होंने सबसे पवित्र बुद्ध भुमि को सैर सपाटे का एक स्थान बना दिया है। बुद्ध ने विवेकी होने, वैज्ञानिक सोच विकसित करने और तर्क आधारित जीवन जीने की प्रेरणा दी थी, जबकि गैर -बौद्ध प्रबंधक संप्रदायवाद, आडंबर, कर्मकांडों और रीति -रस्मो में फसाकर यात्रियों की लूट-खसोट कर रहे है।लामाजी ने कहा कि बोधगया महाबोधि महाविहार को गैर बौद्धों से मुक्त कराने के लिए भारत के बौद्ध समाज द्वारा लंबे समय से आंदोलन किए जा रहे है। सितंबर 2024 से ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम की अगुवाई में शांति यात्रा (पीस -मार्च) समेत पूरे देश में जिला स्तर पर राष्ट्रपति जी को मेमोरंडम भेजे गए। उन्होंने आगे कहा कि 12 फरवरी 2025 को अनिश्चितकालीन श्रृंखलाबद्ध भूख हड़ताल शुरू की जा रही है।आकाश लामा ने कहा कि श्रीलंका के महान बौद्ध विद्वान मिशनरी अनागारिक धर्मपाल ने 1891 से लेकर अपने अंतिम परिनिर्वान समय 1933 तक महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के माध्यम से महाबोधि महाविहार की मुक्ति के लिए रुढ़िवादी गैर-बौद्धों से मुक्त कराने के लिए निरंतर संघर्ष किया था।बेशक बिहार सरकार ने 1949 में इस संबंध में बोधगया मंदिर अधिनियम तो बनाया लेकिन बोधगया महाबोधि महाविहार की प्रबंधकारिणी समिति में शामिल 9 सदस्यों में 5 सदस्य गैर -बौद्ध ही शामिल किए और लगभग सभी कर्मचारी भी गैर बौद्ध ही रहे है।
बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 को निरस्त कर पूरा प्रबंधन निष्कलंक बौद्धों को सौंप दिया जाए।
मुख्य सलाहकार ए के झिंबा, भदंत प्रज्ञाशील महाथेरो, और आज नये
मुख्य सलाहकार में डॉ प्रोफेसर विलास खरात, डॉ एच एल बिरदी, चंद्रबोधि पाटिल, डॉ राहुल बाली बनाए गए।
दिल्ली की कार्यकारिणी गठित हुई जिसमें भंते संघप्रिय, आशीष बरुआ के समन्वयन में सभी सहयोगी रोहित तामांग, ओ पी गौतम, सुनिल बौद्ध, सुनिती बरुआ, सेबिका बरुआ, झूम्पी बरुआ, रुपा रॉय, पुष्पा बरुआ, दिनेश कुमार, जगदिश रेवाडिया, सतीश कुमार, गोपा बरुआ
मनोनीत किए गए।
आकाश लामा जी ने देश के सभी बौद्ध उपासकों और आंबेडकरी और तार्किक विचारधारा से जुड़ी सभी संस्थाओं से अपील की कि वे तथा 12 फरवरी माघ पूर्णिमा को अनिश्चितकालीन श्रृंखलाबद्ध आमरण अनशन में शामिल हो और बोधगया महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन, ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम को तन मन और धन से पूरा सहयोग दें।