
महाबोधी महाविहार बौद्ध गया को अंधविश्वास पाखंड और कर्मकांड के प्रभाव से मुक्त करना आवश्यक है
महाबोधी महाविहार बौद्ध गया को अंधविश्वास पाखंड और कर्मकांड के प्रभाव से मुक्त करना आवश्यक है
महाबोधी महाविहार सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया बौद्ध विहार है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और उनके मुल्यो को स्थापित करने के लिए महाबोधि महाविहार मंदिर और अन्य विहारों का निर्माण किया है। उनके शिलालेख और ऐतिहासिक साक्ष्य इस बात की होती है कि उनका लक्ष्य एक तर्क संगत नैतिक और समाजसेवी समाज की स्थापना करना था। महाबोधी महाविहार सम्राट अशोक के विज्ञानवादी, मानवतावादी नैतिकवादी है।जिस पर अंधविश्वास पाखंड कर्मकांड को फ़ैलाने वाले ब्राह्मणो ने अतिक्रमण किया हुआ है। इस लिए हर हाल में अंधविश्वास पाखंड फैलाकर बुद्ध के विचारों को नष्ट करने का षंड़यंत्र करने वाले ब्राह्मणो के बहुमत से मुक्त कर पुरा नियंत्रण बौद्धो के हाथों में होना चाहिए तभी बौद्ध गया महाबोधि महाविहार का निर्माण सम्राट अशोक के मुल उद्देश्य पूरा और न्याय हो सकता है।
यह स्पष्ट है कि महाबोधि महाविहार को सम्राट अशोक का मुल उद्देश्य विज्ञान वादी, मानवतावादी और नैतिकतावादी को बौद्ध सिंध्दातो के अनुरूप देखना होगा और ब्राह्मणों के अंधविश्वास पाखंड और कर्मकांड के प्रभाव से मुक्त करना आवश्यक है।