1949 टेम्पल एक्ट कानून संविधान और लोकतंत्र के लिए कलंक! बुद्ध पूर्णिमा के बाद बड़ा आंदोलन

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1949 टेम्पल एक्ट कानून संविधान और लोकतंत्र के लिए कलंक! बुद्ध पूर्णिमा के बाद बड़ा आंदोलन 

महाबोधि मुक्ति आंदोलन करने वाले भिक्खुओ ने ऐलान किया कि बुद्ध पूर्णिमा तक बिहार सरकार नही मानी तो बौद्ध गया में एक करोड़ बौद्ध एकत्र हो कर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। महाबोधि महाविहार मंदिर को ब्राह्मणो के कब्जे से मुक्त करने पुरी तरह से महाविहार को बौद्धो समुदाय को सोपने की मांग पर अडिंग है। महाविहार महाबोधि बौद्ध गया मुक्ति आंदोलन को बीते 75 दिन हो गए है आंदोलन 12 फरवरी से शुरू हुआ है। आमरण अनशन में बैठे भिक्षुओं ने आरोप लगाया कि महाविहार महाबोधि को दुनिया भर से मिलने वाले करोड़ों रुपए का डोनेशन का उपयोग बुद्ध धम्म के प्रचार प्रसार और ज्ञान करुणा और मैत्री के कार्यों गरीब बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य में खर्च करने की बजाय अधिकारियों, मंत्रियों और राज्यपालों की आवभगत में अनर्गल व्यय किया जा रहा है।1949 टेम्पल एक्ट यह कानून संविधान लागू होने के पुर्व लागू किया गया कानून जो भेदभाव से ग्रस्त है संविधान के लोकतंत्र पर कंलग बना हुआ है। महाविहार महाबोधि बौद्ध गया का प्रबंधन का हिंदू समुदाय अधिकारी का होता है अन्य समुदाय अधिकारी के हाथ में नहीं।

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