
डॉ बीआर अंबेडकर बाबा साहेब की असली वास्तविक राजनैतिक पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को भारतीय राजनीति में राष्ट्रीय रुप से सक्रिय करने की आवश्यकता है।
डॉ बीआर अंबेडकर बाबा साहेब की असली वास्तविक राजनैतिक पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को भारतीय राजनीति में राष्ट्रीय रुप से सक्रिय करने की आवश्यकता है।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर दलितों के मसिहा संविधान निर्माता शिक्षा समतावादी स्वतंत्रता न्याय बंधुत्व के आधार पर सामाजिक क्रांति का उद्घोष करने वाले डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने न्याय स्वतंत्रता समानता और राजनैतिक संघर्ष से सत्ता पहुंचने के लिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया बनाने स्थापना की थी। दुर्भाग्यवश उनका 6 दिसंबर 1956 को निधन हो गया लेकिन उनके अनुयाई और कार्यकर्ताओं ने 3 अक्टूबर 1957 को उनके याद रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का गठन किया।और पार्टी को 68 वर्ष हो चुके है। जोश-शोर से वंचित पिछड़ों दलित बहुजन समाज के सामाजिक कल्याण हितों के लिए संघर्ष कार्य किया, अपने समय की वंचित पिछड़ों दलितों बहुजनो की एक मात्र पार्टी थी। वंचित पिछड़े दलित बहुजन समाज के तथाकथित अवसर मौकापरस्ती ने 1984 में बहुजन समाज पार्टी उद्गम कर जोशिले तिखे लुभावने नारे से वंचित पिछड़े दलित बहुजन समाज को अपनी ओर खींच लिया दलित बहुजनो की एक मात्र पार्टी का मुखोटा लगाये घमंड के नशे में अपने वफादारों दलित बहुजन नेताओं को किनारे करते भाजपा जैसी ब्राह्मणी मनुवादी पार्टी का सहयोग करती पक्ष में बयान बाजी उदारवादी धर्म निरपेक्ष पार्टीयों को हराने की बयान बाजी करती रहती है। कौवा कभी हंस नही बन सकता है, बाबा साहेब आंबेडकर नाम जपते रहने पार्टी कभी बाबा साहेब आंबेडकर की पार्टी नही बन सकती है।दुसरी वजह पद की लालसा महत्वकांक्षा ने तोड़ दिया विभिन्न गुटों में विभाजित हो गये। और अपने अपने नाम से गुटों की पार्टीया बना ली। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया हंसिये पर ढकेल दिया,अति कमजोर नेतृत्वकर्ता नेता की अक्षमतावान निष्क्रियता ने अस्तित्वहीन बना दिया। कुछ तथाकथित बाबा साहेब आंबेडकर के भक्त नेता अपने स्वाभिमान को गिरवी रख कर मंत्री विधानपरिषद बने मजे उड़ा रहे है।फिर भी गरीब वंचित पिछड़े दलित बहुजन समाज की राजनैतिक पार्टी सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ही है भले ही रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया वेल्टीनेटर पड़ी है।लेकिन इस समय की परिस्थिति के अनुसार वंचित पिछड़े दलित बहुजन समाज के लिए डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की वास्तविक रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की ही अतिआवश्यक है। भारतीय संविधान निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर बाबा साहेब के बारे में अनिल मिश्रा जैसे मनुवादी लोग लगातार आपत्ति जनक टिप्पणी कर रहा बाबा साहेब आंबेडकर को संविधान निर्माता नही मान रहा बीएन राव को संविधान निर्माता मान रहा है ग्वालियर हाईकोर्ट में बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा स्थापना में अड़ंगेबाजी रिस्थितियों का निर्माण किया गया। भारतीय सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई साहेब राकेश किशोर द्बारा जुता फेंकने का प्रयास की अपमान जनक घटना देश में मनुस्मृति समाज व्यवस्था फिर से सक्रिय हो रही भयावह है। आम्बेडकरी दर्शवादी कट्टर शिलवान लोग आज भी बाबा साहेब आंबेडकर की वास्तविक रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के साथ कंधे से कंधा मिलाये खड़े हैं। और मुंह में राम बगल में छुरी रखने वाले आम्साबेडकरी नेताओ को जमीन पर लाने का दम रखते हैं। बाबा साहेब आंबेडकर के नाम सामाजिक नेतागिरी फैशन बन गया है।जिधर देखो उधर ही जयभीम बोलने वाले दिखाई देंगे लेकिन काम ब्राह्मणी मनुवादी पुजीपति पार्टीयों के दलाल चम्मचे होंगे। डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के संदर्भ लुभावने विचारक आधा-अधूरा ज्ञान रखने वाले अपने आप को बाबा का मिशनरी हितेषी कहकर आम्साबेडकरी नाम से सामाजिक संगठन बना रहे और चला रहे है। जिनसे भी आम्साबेडकरी मिशनरी राजनीतिक लोगों को नुक्सान हो रहा है।जिस प्रकार से निर्वाचित जनप्रतिनिधि को वापस बुलाने का कानून है उसी तरह वास्तविक बाबा साहेब आंबेडकर की राजनीतिक रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का निष्क्रिय उदासीन नेता को हटाकर सक्षम नेतृत्व को बिठा कर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को भारतीय राजनीति में सक्रिय रूप से लाने काम किया जाना चाहिए।