*नरसंहार की राजनीति और अर्थशास्त्र* मजदूर बगुल

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*नरसंहार की राजनीति और अर्थशास्त्र*

मजदूर बगुल 

पिछले दो वर्षों से, दुनिया गाजा में इतिहास के सबसे भयानक नरसंहार को होते हुए देख रही है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के फैसले और कई राष्ट्रों की निंदा के बावजूद, यह हिंसा और नरसंहार जारी है। यह एक गंभीर सवाल खड़ा करता है: दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र चुप और निष्क्रिय क्यों बने हुए हैं? लगातार हो रहे वैश्विक विरोध प्रदर्शनों, प्रदर्शनों और आक्रोश का इतना कम असर क्यों हो रहा है?

उत्तर साफ है—मुनाफे की ताकत। हाल ही में प्रकाशित रिपोर्टों ने खुलासा किया कि कैसे वैश्विक कंपनियाँ इस नरसंहार से सीधे लाभ उठा रही हैं।

एल्बिट सिस्टम्स, लॉकहीड मार्टिन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़न जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ सिर्फ हथि‍यार और तकनीक ही नहीं दे रही हैं—वे फ़िलिस्तीनी लोगों पर चल रहे अत्याचार का इंजन हैं। हर ड्रोन, हर डेटा सिस्टम, हर लॉजिस्टिक समाधान सीधे उनके हाथों से हो रहे अत्याचार को संभव बनाता है। यह सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है; जापान, यूरोप, चीन और भारत की कंपनियाँ भी इस खौफनाक मशीनरी में शामिल हैं।

इस एपिसोड में, इस नरसंहार के पीछे की राजनीतिक अर्थव्यवस्था का विश्लेषण है। लाभ और शक्ति के उस जटिल जाल को खंगाला गया है जो इस नरसंहार को जारी रखने की अनुमति देता है, और यह सवाल पूछा गया है कि वास्तव में किसे फायदा हो रहा है और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की कैसे इसमें मिलीभगत है।

देखे द वायर की ये रिपोर्ट – https://www.youtube.com/watch?v=b-uHX0TQ7h0

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