भारत में चला तालिबानी फरमान, मोदी सरकार मौन — नारी सम्मान पर उठे गंभीर सवाल

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भारत में चला तालिबानी फरमान, मोदी सरकार मौन — नारी सम्मान पर उठे गंभीर सवाल

मोहम्मद उवैस रहमानी

प्रधान संपादक 

RH NEWS 24&अख़बार रुखसार ए हिन्द

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*नई दिल्ली* 

अफगानिस्तान से आए वज़ीर-ए-खारिजा (विदेश मंत्री) के भारत दौरे के दौरान एक चौंकाने वाला वाकया सामने आया है। राजधानी दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय महिला पत्रकारों को प्रवेश से वंचित कर दिया गया। यह कदम न केवल पत्रकारिता की आज़ादी पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि महिलाओं के सम्मान और समान अधिकारों के दावे पर भी बड़ा तमाचा है।

जानकारी के अनुसार,अफगान प्रतिनिधिमंडल की ओर से सख्त हिदायत दी गई थी कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल पुरुष पत्रकार ही शामिल हो सकते हैं। कई महिला पत्रकारों ने इसका विरोध भी जताया, लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि भारत सरकार की ओर से इस अपमानजनक व्यवहार पर कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई।

 *“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”* और “ *नारी शक्ति सम्मान”* के नारे देने वाली मोदी सरकार इस पूरे घटनाक्रम पर पूरी तरह मौन दिखाई दी। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने सरकार की चुप्पी पर कड़ा ऐतराज़ जताते हुए कहा है कि —

अगर भारत अपनी धरती पर भी महिलाओं का सम्मान नहीं करा सकता, तो फिर यह नारा सिर्फ़ राजनीतिक भाषणों तक सीमित रह गया है।”

महिला पत्रकारों ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी और समान अवसरों पर हमला बताते हुए कहा कि —

 _यह भारत नहीं, तालिबान का फरमान लग रहा था।”_ 

देशभर के मीडिया संगठनों ने इस घटना की निंदा की है और सरकार से यह सवाल पूछा है कि क्या विदेशी मेहमानों की खुशामद में भारत अब अपनी महिलाओं के सम्मान और गरिमा से समझौता करेगा?

जनता के मन में अब यही सवाल गूंज रहा है —

“नारी शक्ति की बात करने वाले आज खामोश क्यों हैं?”

“क्या तालिबान की सोच अब भारत में भी सिर उठा रही है?”

“भारत में अगर महिला पत्रकारों को बोलने, सवाल पूछने और उपस्थित रहने का हक़ नहीं — तो फिर नारी सम्मान का नारा केवल दिखावा बनकर रह जाएगा।”

 

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