देश में संविधान के लोकतंत्र का शासन खत्म या नये संसद भवन में स्थापित राजदंड का प्रतीक संगोल से न्याय संगत और निष्पक्ष शासन की अपेक्षा ?

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देश में संविधान के लोकतंत्र का शासन खत्म या नये संसद भवन में स्थापित राजदंड का प्रतीक संगोल से न्याय संगत और निष्पक्ष शासन की अपेक्षा ?

संगोल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। भाजपा विगत दस सालों से कांग्रेस को हंसिये धकेल कर सत्ता हस्तांतरण किया हुआ है। संसद भवन में संगोल स्थापित विवाद और चर्चा का विषय बना हुआ है। देश की स्वतंत्रता के बाद देश का संविधान का लोकतंत्र स्थापित हुआ है। लोक निर्वाचन पद्धति से पांच वर्ष तक शासन स्थापित होता है।शासक जनता का सेवक होता है।28 मई 2023 को भारत के नये संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगोल स्वर्ण परत वाली छड़ी जो राजदंड का प्रतीक माना जाता स्थापित की है। इसका अर्थ यह निकलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में संविधान लोकतंत्र की जगह राजतंत्र का शासन स्वर्ण परत वाली छड़ी राजदंड का प्रतीक संगोल के जरिए शासन चलाने का संकेत दिया है।जो संप्रभु अधिकार को दर्शाता है कि मोदी  सर्वोच्च अधिकार उसके पास है। और स्वर्ण परत वाली छड़ी राजदंड संगोल से न्याय पुर्ण शासन चलायेगा। संसद में कोई चर्चा कोई बहश नही, बहुमत से कुछ नही होगा, जो चर्चा बहश बहुमत की मांग करेगा उसकी संसदीय सभा से खदेड़ दिया जायेगा। विधेयक पर संसद में बहस  लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि आपराधिक कानून विधेयक में संसद में सांसदों को निलंबन की कार्यवाही तानाशाही हुई। संसद संविधान के लोकतंत्र का मंदिर है और संसद में संविधान रखा जाना चाहिए ना कि राजदंड का प्रतीक संगोल। समाजवादी पार्टी के सांसद सदस्य पीके चौधरी का संसद में रखी गई संगोल पर विरोध जायज है जिस पर लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले लोकतंत्र के रक्षकों चर्चा होनी चाहिए।

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