स्वामी विवेकानन्द जयंती युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है

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स्वामी विवेकानन्द जयंती युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है 

12 जनवरी स्वामी विवेकानन्द जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस रुप मनाया जाता है।प्रति साल युवाओं को समर्पित स्वामी जी के पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। स्वामी विवेकानन्द का प्रेरणा स्त्रोत नारा था कि उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए, सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाना कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोच बनाये रखने के लिए प्रेरित करता है। स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 कलकत्ता में बंगाली परिवार विश्व नाथ के घर में हुआ था। विश्व नाथ दत्त कलकत्ता के उच्चतम न्यायालय में वकील थे।उनका वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानन्द 25 वर्ष की उम्र में सन्यासी बन गए थे। स्वामी विवेकानन्द की पहली मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से 1881मे दक्षिणेश्वर काली मंदिर कलकत्ता में हुई थी। रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानन्द के सवाल उत्तर दिया था कि भगवान को उतना ही साफ देखता हूं जितना तुम देखते हो, फर्क इतना है कि मै तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं जिससे प्रभावित होकर स्वामी विवेकानन्द सन्यासी बन गए थे।1893 में अमेरिका के शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था उनके तेजस्वी और आकर्षक प्रभावी भाषण से विश्व में लोहा मनवाया था।

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