दोहरी मंहगी शिक्षा प्रणाली नही निःशुल्क सस्ती समान पाठ्यक्रम शिक्षा मिलनी चाहिए।

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दोहरी मंहगी शिक्षा प्रणाली नही निःशुल्क सस्ती समान पाठ्यक्रम शिक्षा मिलनी चाहिए।

शिक्षा सबसे शक्तिशाली उपकरण है। प्रगतिशील समाज की नींव है। व्यक्तिगत सफलता की सीढ़ी है। राष्ट्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आत्म सम्मान और आत्मविश्वास प्रदान करती। शिक्षा एक सतत् प्रक्रिया है हमें  ज्ञान ही नही मिलता बल्कि बेहतर इंसान जिम्मेदार नागरिक बनाता है।आर्थिक विकास करता है। रोजगार प्रदान करता है गरीबी की परेशानी है मुक्त करता है। शिक्षण ऐसा मिलना चाहिए जहां छात्रों का सर्वांगीण विकास हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। नैतिक ज्ञान के साथ साथ सही मार्गदर्शन मिलता रहे।डॉ बाबासाहेब आंबेडकर शिक्षा को मौलिक अधिकार बना देना चाहते थे। सबको समान निःशुल्क शिक्षा के पक्षधर थे। हमारे देश में शिक्षा का मौलिक अधिकार में दोहरी शिक्षा मंहगी शिक्षा प्रणाली चल रही है। ऐसे में सशक्त नागरिक  सशक्त देश का निर्माण कैसे हो सकता है। दोहरी शिक्षा से एक दुसरे के प्रति भेदभाव हिन भावना पैदा करती है। देश में समानता बुद्ध आम्बेडकरी मानवतावादी शिक्षण नही चल रही है। संविधान लोकतंत्र के शासन में वर्ण मनु जातिवादी व्यवस्था का शासन चल रहा है। और वर्ण मनु जातिवादी व्यवस्था में दलित आदिवासी पिछड़ी वंचित बहुजन समाज के लिए शिक्षा वर्जित रही है इतिहास हमें बताता है।इतनी शिक्षा दी जा रही की मात्र नागरिक जागरूक गुलाम बना रहें किन्तु परन्तु करते करतेभगवान के आगे सिर झुकाते रहे।जिम्मेदार बौद्ध प्रबल तर्क वितर्क के कुछ भी स्वीकार नही करता ऐसे जिम्मेदार प्रबल जागरूक नागरिक का निर्माण न सके प्रयास में रहते हैं।इस लिए कमजोर गरीब वंचित पिछड़ी बहुजन समाज के बच्चों को शिक्षा के नाम पर मिड डे दिया जा रहा है। भिकारी की शिक्षा दी जा रही है। देश एक राष्ट्र है जिसका एक संविधान है तो शिक्षा भी समान पाठ्यक्रम समान मिलनी चाहिए दोहरी नही होनी चाहिए। इस वर्ष 2025 का शिक्षण सत्र शुरू होने जा रहा है और शिक्षा की दुकान चलाने वालो ने प्रवेश, ड्रेस, पाठ्यक्रम, पुस्तकें कापी और अन्य सामग्री के नाम पर हजारों रुपए वसुलने का काम शुरू कर दिया है।

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