
कानुनः- चैक बाउंस बचाव पक्ष के दस्तावेजो के कारण मिली दोषमुक्ति ।
कानुनः-
चैक बाउंस बचाव पक्ष के दस्तावेजो के कारण मिली दोषमुक्ति ।
भरत सेन अधिवक्ता बैतूल न्यायालय द्वारा
बैतूल। मप्र राज्य। भारत की सुप्रीम कोर्ट कहती हैं कि चैक बाउंस कानून धारा 138 में आरोपी को अपना बचाव में कोई तो एैसा दस्तावेज पेष करे जिस पर न्यायालय संभावनाओं की प्रबलता के आधार पर अपना विष्वास व्यक्त कर सकें। न्यायालय में चैक बांउस कानून में आरोपी की सफलता की इस कहानी में दस्तावेजो एवं तारीखो की जबरजस्त भूमिका रही हैं। बचाव पक्ष में आरोपी के अधिवक्ता भारत सेन द्वारा उठाए गए सवालो ने परिवादी के समस्त दावों को विफल कर दिया और आरोपी दोष मुक्त धोषित किया गया।
मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी बैतूल की अदालत में दा0 परिवाद क्र0 219/ 2020 में आरोपी धीरेन्द्र अवस्थी पर यह आरोप था कि उसने परिवादी अखिलेष शर्मा को ऋण एवं दायित्व के उन्मोचन के लिए 03 लाख रू0 का चैक जारी किया था जो कि बाउंस हो गया।
परिवाद कथा इस प्रकार थी कि परिवादी और आरोपी के मध्य भूमि विक्रय की ब्याना चिठ्ठी 29.04.2020 हुई थी जिसके ऐवज में आरोपी ने 03 लाख 80 हजार रू0 प्राप्त किए थें। ब्याना चिठ्ठी के अनुसार 16 लाख रू0 में विक्रय पत्र का निष्पादन किया जाना तय हुआ था। विक्रय पत्र का निष्पादन 16 लाख 86 हजार 788 रू0 में परिवादी की भागेदारी फर्म शीतल बिल्डर्स के पक्ष में कर दी गई। आरोपी ने ब्याना चिठ्ठी की राषि टोकन मनी लौटाने के चैक क्र0 047610 राषि 03 लाख रू0 का जारी किया था जो कि बाउंस हो गया।
आरोपी धीरेन्द्र अवस्थी ने अपना बचाव प्रमाणित करने के लिए बैंक खाता स्टैटमैन्ट पेष किए, चैक के दुरूपयोग की पुलिस रिपोर्ट पेष करी एवं विक्रय पत्र पेष किया। इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा चैक बांउस कानून धारा 138 के पूर्व में पेष किए गए कुछ परिवाद पत्रों की सत्यप्रतिलिपि पेष करी।
न्यायालय में पेष किए गए परिवाद पत्र से कई कानून एवं न्याय के सवाल खड़े हो गए। ब्याना चिठ्ठी में संपत्ति का सौदा 16 लाख में हुआ था तो विक्रय पत्र 16 लाख 86 हजार 788 रू0 में क्यों हुआ था ? विक्रय पत्र में पूर्व नगद अदा की राषि 86 हजार 788 रू हैं तो ब्याना चिठ्ठी में 03 लाख 80 हजार रू हैं, दोनो में से पूर्व में अदा की गई राषि कौन सी हैं ? परिवादी एवं आरोपी के मध्य संपत्ति का सौदा 29.04.2020 को हुआ था तो स्टांप पेपर 25.02.2020 कैसे खरीदे गए थें? विक्रय पत्र में टोकन मनी ब्याना राषि 03 लाख 80 हजार रू0 को क्यों नहीं लिखा गया था? विक्रय पत्र निष्पादन के बाद चैक के जरिए ब्याना राषि 03 लाख रू0 वापस क्यों लौटाई जा रहीं थी? चैक राषि ब्याना राषि 03 लाख 80 हजार रू0 का क्यों नहीं हैं? परिवादी 80 हजार रू0 की छूट आरोपी को क्यों दे रहा हैं ?
आरोपी नें बचाव में बैंक खाता स्टैटमेन्ट पेष कर यह प्रमाणित किया कि चैक क्र0 044338 के जरिए 01 लाख 80 हजार आहरण कर एवं 044339 के जरिए 02 लाख रू0 परिवादी को 05.08.2020 को अदा कर चुका था। परिवादी साहूकारी का काम करता था जिसके द्वारा पूर्व में भी 04 चैक बांउस के मामले अन्य व्यक्तियों पर चला चुका हैं जिसमें नगद धन राषि उधार देकर चैक के जरिए वसूली की परिवाद कथा लिखी हुई थी।
आरोपी का चैक परिवादी के पास गया कैसे था ? तिलक वार्ड निवासी कंचन गौर ने साहूकार अखिलेष शर्मा से 01 लाख रू0 उधार मांगे थे तो साहूकार ने महिला से रिक्त चैक एवं गैरंटर धीरेन्द्र अवस्थी से स्टांप पेपर एवं रिक्त चैक लेकर 25.02.2020 को लेकर रख लिया था। कंचन गौर ने पुलिस में परिवादी की षिकायत की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ था। कोरोना लाॅक डाउन में स्टाप पेपर पर संपत्ति की ब्याना चिठ्ठी लिखी गई थी।