विश्व स्वास्थ्य दिवस पर प्रदीपन नवांकुर संस्था ने बच्चों और महिलाओं को दिए स्वास्थ्य के मंत्र

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विश्व स्वास्थ्य दिवस पर प्रदीपन नवांकुर संस्था ने बच्चों और महिलाओं को दिए स्वास्थ्य के मंत्र

बैतूल। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद बैतूल के तत्वावधान में कार्यरत प्रदीपन नवांकुर संस्था बैतूल द्वारा ग्राम चिखलार में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में गांव की एक सैकड़ा से अधिक महिलाओं और बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित करना तथा वर्तमान समय में बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाना था। संस्था की टीम ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधा हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, परंतु बदलती जीवनशैली के कारण आज समाज में मानसिक तनाव, शारीरिक बीमारियाँ और सामाजिक विकृतियां बढ़ रही हैं। इन कारणों से अपराध दर में भी इजाफा देखने को मिल रहा है।

—नशे से रहें दूर, जीवन बनाएं सुरक्षित—

संस्था की काउंसलर दीपमाला खातरकर ने कार्यक्रम में बच्चों को विशेष रूप से नशे की लत से बचने के लिए प्रेरित किया गया। चाहे वह शराब, बीड़ी, तंबाकू या कोई अन्य नशीला पदार्थ हो इन सभी से दूर रहकर ही स्वस्थ जीवन संभव है। बच्चों को समझाया गया कि वे स्वयं भी इनसे दूर रहें और अपने परिवार को भी सामाजिक बुराइयों से बचाने का प्रयास करें।

—महिलाओं को दी गई पोषण और स्वच्छता की जानकारी ।

संस्था की काउंसलर और क्लस्टर कोऑर्डिनेटर ने महिलाओं को नशीली चीजों के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे सात्विक और संतुलित आहार के सेवन से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। माहवारी के दौरान स्वच्छता बनाए रखना महिलाओं के लिए अत्यंत आवश्यक है, इस पर भी विशेष जोर दिया गया।

—बच्चों को मिली मार्गदर्शक सीख—

संस्था की काउंसलर खातरकर ने बच्चों को नशीली चीजों से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में समझाया। उन्होंने मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से होने वाले नुकसान और पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। बच्चों को प्रतिदिन मॉर्निंग वॉक और ध्यान-योग करने की सलाह दी गई, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।

—पर्यावरण के लिए पौधारोपण की प्रेरणा—

बच्चों को जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से अवगत कराया गया और उन्हें अपने दादा-दादी, माता-पिता और स्वयं के नाम से एक-एक पौधा लगाने की प्रेरणा दी गई। महिलाओं को आंगन और बाड़ी में रसोई वाटिका (किचन गार्डन) लगाने का सुझाव दिया गया ताकि ताजी और स्वास्थ्यवर्धक सब्जियों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। इससे न केवल पोषण मिलेगा, बल्कि बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। कार्यक्रम के अंत में चारूलता वर्मा ने बच्चों को बाल सुरक्षा के चार मुख्य अधिकारों जीवन का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार, विकास का अधिकार और सहभागिता का अधिकार के बारे में जानकारी दी।
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