
गरीब दंपती को मिला न्याय: सड़क दुर्घटना में बेटे की मौत के बाद लोक अदालत के माध्यम से मिला 9 लाख का मुआवजा
गरीब दंपती को मिला न्याय: सड़क दुर्घटना में बेटे की मौत के बाद लोक अदालत के माध्यम से मिला 9 लाख का मुआवजा

दरअसल 17 अगस्त 2020 को बैतूल-इंदौर फोरलेन पर खेडी बैरियर के पास एक भीषण सड़क दुर्घटना में गुरुवा पिपरिया तहसील भीमपुर निवासी नितिन सूर्यवंशी की बोलेरो कैंपर से टक्कर होने के कारण मौके पर ही मौत हो गई थी। घटना के पश्चात आरोपी चालक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन मृतक के माता-पिता रामकृष्ण सूर्यवंशी और सुनीता सूर्यवंशी ने मुआवजा संबंधी किसी भी कानूनी प्रक्रिया की जानकारी न होने के कारण कोई कदम नहीं उठाया। कुछ समय पश्चात रामकृष्ण सूर्यवंशी एक अन्य मामले में गवाही देने बैतूल न्यायालय पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात अधिवक्ता रोशन मगरदे से हुई। बातचीत के दौरान उन्होंने अपने बेटे की दुर्घटना की पूरी जानकारी दी। अधिवक्ता रोशन मगरदे ने तुरंत उनकी सहायता करने का निर्णय लिया और उन्हें मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 166 के अंतर्गत मुआवजा प्राप्त करने की कानूनी प्रक्रिया से अवगत कराया।
—लोक अदालत के माध्यम से न्याय—
प्रकरण को त्वरित रूप से सुलझाने के लिए अधिवक्ता रोशन मगरदे ने मामला नेशनल लोक अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया। यह मामला मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण खंडपीठ क्रमांक-1 के न्यायाधीश श्री दिनेश चंद्र थपलियाल के समक्ष लाया गया। अदालत ने टाटा एलआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को आदेशित किया कि वह मृतक के माता-पिता को 9 लाख की मुआवजा राशि प्रदान करें। प्रकरण प्रस्तुत करने के छह माह के भीतर ही सुनीता और रामकृष्ण सूर्यवंशी को 9 लाख की मुआवजा राशि का चेक प्राप्त हुआ। चेक प्राप्त करते समय भावुक होते हुए दोनों ने कहा कि अगर अधिवक्ता रोशन मगरदे से हमारी मुलाकात न होती तो हमें कभी भी यह मुआवजा नहीं मिल पाता। हमें इस कानून की कोई जानकारी नहीं थी। वकील साहब ने ही हमारे लिए न्याय के द्वार खोले हैं।
—वकील रोशन ने बताया न्याय सेवा का सच्चा अर्थ—
इस अवसर पर अधिवक्ता रोशन मगरदे ने कहा कि लोक अदालत का उद्देश्य ही यह है कि सामान्य नागरिकों को सरल, सुलभ और त्वरित न्याय मिले। यह मामला भी न्याय की सच्ची सेवा का उदाहरण है। उन्होंने आगे भी ऐसे जरूरतमंदों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहने की बात कही।