
जन सुरक्षा कानून:-अभिव्यक्ति स्वतंत्रता प्रतिबंधित करता है?
जन सुरक्षा कानून :-अभिव्यक्ति स्वतंत्रता प्रतिबंधित करता है?
महाराष्ट् राज्य में भाजपा सरकार ने जन सुरक्षा अधिनियम विधयेक बील पारित किया है,जिसका विरोध क्यों हो रहा है? प्रगतिशील लेखक, बुद्धिजीवी और आम जनता जन सुरक्षा अधिनियम का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इस कानून में निम्नलिखित प्रावधान हैं जो लोगों की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करते हैं। सरकार के विरुद्ध राय व्यक्त करने वाले व्यक्ति या संगठन के विरुद्ध सरकार को असीमित कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त होगा। यदि सरकार की राय है कि कोई संगठन अवैध संगठन है या बन गया है, तो उसे प्रशासनिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा अवैध संगठन घोषित कर दिया जाएगा। चूँकि अवैध संगठन या कृत्य की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है, इसलिए सरकार किसी भी संगठन और कृत्य को अवैध घोषित कर सकती है। अवैध घोषित किए गए संगठन की सभी चल और अचल संपत्तियों को सरकार जब्त कर लेगी। सरकार को अवैध घोषित किए गए संगठन के पदाधिकारियों के साथ-साथ इस संगठन की बैठक में उपस्थित व्यक्तियों को सात साल तक के कारावास की सजा देने का अधिकार होगा। यदि प्रतिबंध का उल्लंघन किया जाता है, यदि शांतिपूर्ण मार्च निकाला जाता है, यदि कोई घोषणा की जाती है या यदि कोई आंदोलन किया जाता है, तो इसे एक अवैध कार्य माना जाएगा और इसके लिए कठोर दंड लगाया जाएगा। यदि श्रमिक या सरकारी कर्मचारी हड़ताल करते हैं, तो इसे अवैध घोषित किया जाएगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस कानून का इस्तेमाल सामाजिक आंदोलनों, जनांदोलनों और विपक्षी दलों को दबाने के लिए किया जाएगा। इस कानून का इस्तेमाल सामाजिक मुद्दों पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए एक हथियार के रूप में किया जाएगा। पुलिस राज तय होगा और तानाशाही लागू होगी। सत्ताधारी दल राज्य के संसाधनों, ज़मीन, जंगल, नदियों, बाँधों, सड़कों को पूँजीपतियों और उद्योगपतियों के निजी नियंत्रण में देने के लिए आंदोलन के विरोध को तोड़ने हेतु इस कानून का व्यापक उपयोग करेगा। जन सुरक्षा अधिनियम में लोगों की सुरक्षा का कोई प्रावधान नहीं है, बल्कि यह एक हथियार है जिसका इस्तेमाल सरकार की मनमानी और “हम करें तो” के रवैये को बढ़ावा देने और जागरूक लोगों में दहशत पैदा करने के लिए किया जाएगा। इसलिए इस कानून का विरोध करना लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले प्रत्येक नागरिक का प्राथमिक कर्तव्य है। एनजी जागरूकता के दृष्टिकोण से, सम्राट पेपर में जन सुरक्षा अधिनियम के संबंध में एक लेख प्रकाशित हुआ था। आपकी जानकारी के लिए कुछ मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने हेतु एक संदेश भेज रहा हूँ।