
SC/ST को संवैधानिक मुलभूत अधिकार शिक्षा और रोजगार में आरक्षण हमेशा के लिए। राजनीतिक आरक्षण की समीक्षा राजनैतिक क्रिमीलियरो पर फैसला आना चाहिए।
SC/ST को संवैधानिक मुलभूत अधिकार शिक्षा और रोजगार में आरक्षण हमेशा के लिए। राजनीतिक आरक्षण की समीक्षा राजनैतिक क्रिमीलियरो पर फैसला आना चाहिए।
संविधान के अनुच्छेद 332के अनुसार लोकसभा और विधानसभा में SC/S T को आरक्षण प्राप्त है। संविधान में अंकित है कि अनुच्छेद 334 में प्रत्येक दस वर्षों में लोकसभा विधानसभा में मिले आरक्षण की समीक्षा होगी और यही अनुच्छेद के अनुसार राजनीतिक आरक्षण की समीक्षा की बात की गयी है। अनुच्छेद 15,16 में जोकि संवैधानिक मुलभूत अधिकार इसमें अनुच्छेद 15 (4 ), 16( 4 ) में शिक्षा और रोजगार में आरक्षण दिया गया है।जो संवैधानिक मुलभूत अधिकार है इन्हें कोई बदल नही सकता है इसकी कोई समीक्षा नहीं की जा सकती है। संवैधानिक मुलभूत अधिकार SC/STको आरक्षण देने का प्रावधान है।इसे कोई बदल नही सकता है।अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला SC/ST आरक्षण कोटे में कोटा आरक्षण में वर्गीकरण सब कोटा बनाने आरक्षण में ही आर्थिक सामाजिक रुप से अति पिछड़े गरीबो को आरक्षण दिए जाने के लिए सब आरक्षण का प्रावधान का निर्णय राज्य सरकार को दिए जाने का फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनुसूचित जाति में पिछड़े लोगों की शिकायत है कि आरक्षण से लाभान्वित लोग उन्हें आरक्षण से वंचित किया जाता है। अनुसूचित जाति के पिछड़े वंचित गरीबो को आरक्षण का समुचित लाभ देकर सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम करके क्रिमीलियर लाने वाला फैसला है। क्रिमीलियर वह है जो आरक्षण से लाभान्वित होकर आर्थिक और सामाजिक रुप से प्रगति कर चुका है। इस श्रेणी में आने वाले को पदोन्नति नहीं मिलना चाहिए । वास्तविकता है कि हमारे देश में आज भी जातिवाद है सामाजिक रुप से अनुसूचित जाति को बहिष्कृत किया हुआ है। जातिवाद भेदभाव से अनुसूचित जाति पिछड़ी और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य उच्च वर्गीय पर निर्भर गुलाम है।आज भी अनुसूचित जाति की दलितो वह कितना भी पढ़ा-लिखा सक्षम क्यों न हो हिन्दू धर्म के सामाजिक व्यवस्था में बराबरी का दर्जा नहीं है। वास्तव में अनुसूचित जाति का व्यक्ति राजनैतिक आरक्षण का लाभ से सांसद सदस्य क्रिमीलियर बन रहा है उसको दुबारा आरक्षण लाभ नही मिलना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 334 मे प्रत्येक दस वर्षों में आरक्षण का राजनीतिक समीक्षा करने का प्रावधान है। राजनीतिक आरक्षण का लाभ उठा कर क्रिमीलियर लोगों को दुबारा आरक्षण का लाभ नही मिलना चाहिए जिस पर काम और सुप्रीम कोर्ट का फैसला होना चाहिए।