7अक्टूम्बर 25 को तीन महीने से चलने वाला वर्षावास का समापन । वर्षावास के दौरान उपासक उपासिकाए धम्म का कितना ज्ञान का आत्मसात करते है? नाम के लिए ही बुद्ध धर्म का न बनो बल्कि बुद्ध धम्म के सिद्धांत को व्यवहार में लाओ।

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7अक्टूम्बर 25 को तीन महीने से चलने वाला वर्षावास का समापन । वर्षावास के दौरान उपासक उपासिकाए धम्म का कितना ज्ञान का आत्मसात करते है? नाम के लिए ही बुद्ध धर्म का न बनो बल्कि बुद्ध धम्म के सिद्धांत को व्यवहार में लाओ।

10 जुलाई से चलने वाला वर्षावास 7 अक्टूबर 25 को खत्म हो रहा है। सारनी के त्रिरत्न बुद्ध विहार में वर्षावास का समापन किया।वर्षावास के दौरान उपासक तीन महीने तक बुद्ध और उसका धम्म ग्रंथ का पठन करते है।भिक्षु अध्यात्मिक धम्म का ज्ञान देते धम्म साधना करते है जिसका लाभ उपासक उठाते और भिक्षुओं को चीवर वस्त्र भोजन दान देकर पुण्य कमाते है। वर्षावास के दौरान उपासक उपासिकाए धम्म भक्तगण बुद्ध और उसका धम्म के ज्ञान का कितना आत्मसात करते है ॽ डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि बौद्ध धम्म (धर्म) केवल नाम के लिए नही स्वीकार करें, बल्कि धम्म के सिध्दांतो को व्यवहार में अपनाये। और समाज में समानता, भाईचारा, और न्याय स्थापित करने के लिए धम्म का प्रचार प्रसार करें। जीवन में इमानदारी करुणा और विवेक अपनाये।14 अक्टूबर 1956 को धर्मांतरण समारोह भारतीय समाज के लिए नया अध्याय लेकर आया है। लाखों लोगों ने अस्पृश्यता के अभिसाफ को त्याग कर समानता का मार्ग चुना है। 14 अक्टूबर 1956 भारतीय समाज में परिवर्तन के इतिहास में एक क्रांतिकारी मील का पत्थर के रुप में हमेशा याद किया जाता रहेगा। डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के बौद्ध धम्म प्रवर्तन का अस्तित्व खत्म करने के लिए बौद्ध आम्साबेडकरी समुह कार्यक्रमो नाम के घुसपैठियो का प्रवेश हो रहा है। और हम संख्या बढ़ाने में ध्यान दें रहे है।

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