
वन नेशन वन इलेक्शन लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक?
वन नेशन वन इलेक्शन लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक?
केन्द्र की मोदी केन्द्रीय कमेटी ने वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव को पास कर दिया है अर्थात देश में एक बार चुनाव होने की प्रक्रिया को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है। देश के चुनाव एक साथ एक बार ही होंगे। इस संदर्भ में सरकार और उसके सहयोगियों राजनैतिक लोगो का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन से चुनाव का खर्चा तथा समय में कमी होगी।वन नेशन वन इलेक्शन के फार्मूले से निष्पक्ष चुनाव हो पायेगे ? क्योंकि विभिन्न विभिन्न समय पर होने वाले चुनाव एक साथ नहीं हो पा रहे है तो एक साथ चुनाव कैसे हो पायेंगे चुनाव आयोग के लिए चुनोति है। देश में लोकतंत्र के तहत पांच साल में एक बार चुनाव की प्रक्रिया है।1951-52 से लेकर सन् 1967 तक एक साथ चुनाव हुए लेकिन सन् 1970 से एक साथ चुनाव होने का चक्र चल रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद विभिन्न समयों पर राज्यों में चुनाव हो रहे है।वन नेशन वन इलेक्शन के तहत राज्यो के विधानसभा शासन को भंग किया जायेगा। लोकतंत्र से चुनी हुई सरकार समय से पहले खत्म लोकतंत्र में डाका डालने वाला कार्य हो रहा है। देश में सामाजिक आर्थिक व्यवस्था असामान्य है अमीर व्यक्ति अमीर हो रहा है गरीब और गरीब हो रहा है।वन नेशन वन इलेक्शन से छोटे छोटे राजनैतिक दल बेकपुट आ जायेंगे।संशाधन समार्थ शक्ति आभामंडल वाले राजनैतिक दलों का वर्चस्व बढ़ेगा और राजसिंहासन बैठने आसानी होगी। और चुनाव के समय मतदाताओं की पुछपरख आवभगत भी खत्म हो जायेगी। और आभामंडल वाले राजनैतिक दल की मनमानी बढ़ेगी।