
23 मई बैशाख पूर्णिमा 2568 वी बुद्ध जयंती अंतरराष्ट्रीय महापर्व तथागत भगवान गौतम बुद्ध ने तथ्य के साथ सच्चाई से अवगत कराया है कि दु:ख है,दु:ख कारण,दु:ख का निवारण और निवारण का उपाय है।
23 मई बैशाख पूर्णिमा 2568 वी बुद्ध जयंती अंतरराष्ट्रीय महापर्व तथागत भगवान गौतम बुद्ध ने तथ्य के साथ सच्चाई से अवगत कराया है कि दु:ख है,दु:ख कारण,दु:ख का निवारण और निवारण का उपाय है।
23 मई बैशाख पूर्णिमा 2568 वी बुद्ध जयंती अंतरराष्ट्रीय महापर्व पर तथागत भगवान बुद्ध ने तथ्य के साथ सच्चाई को अवगत कराया कि दुनिया में दु:ख है,दु:ख का कारण है और दु:ख का निवारण,दु:ख निवारण के उपाय है। राग ,द्वेष से क्रोध और तृष्णा से लोभ,लालच उत्पन्न होता है जो की दु:खो का सबसे बड़ा कारण है। बुद्ध ने कहा संतोष सबसे बड़ा धन है। मनुष्य को लोभ लालच में वशीभूत नही होना चाहिए।मन,शरीर, वचनों से दुसरो दुःख नही देना चाहिए।मधूरवाणी, सम्यक (सही) दृष्टिकोण रखें सम्यक सोच (सही) सोचें, विवेकशील होना चाहिए, प्रभावशाली होना चाहिए,मुर्खो की संगति न करें, बुद्धिमानों की संगति करें, अच्छा ज्ञान का संचय करे शिलवान नैतिकवान, कुशल कर्म करें माता पिता की सेवा करें कभी भी मानव को चोरी चकारी झूठ झाठ मारपीट हिंसा नशीली वस्तुओं के सेवन से दूर रहना जीवन कल्याणकारी है। तथागत भगवान गौतम बुद्ध का बैसाख पुर्णिमा को नेपाल के लुंबिनी में शुद्धोदन राजा के घर महामाया ने सिध्दार्थ गौतम का जन्म हुआ और बोध गया में पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त सुजाता की खीर खाई थी। तथागत ने बुद्ध प्राप्ति के बाद आम लोगों को जीवन कैसे जीना कैसा चाहिए यह बताया। उन्होंने पुजापाठ उपासना शास्त्रो के पवित्र नदियों में जाकर स्नान करने के लिए कभी नहीं कहां। बैसाख पुर्णिमा का पर्व सौ देशों से अधिक देश अलग-अलग ढंग से अपने अनुसार मनाते है। जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय धर्मो का सम्मेलन हुआ। अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धर्म के चुनाव में बौद्ध धर्म को सर्वश्रेष्ठ धर्म चुनकर सर्वश्रेष्ठ होने के लिए सम्मानित किया गया। आश्चर्यजनक है कि दुनिया के गैर बौद्ध धर्म के लोगों ने बौद्ध धर्म को वोटिंग किया है।