राजस्व अधिकारी की मिली भगत से टूटे हुए बांध को नक्शे से किया गायब-कलेक्टर से की शिकायत।

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राजस्व अधिकारी की मिली भगत से टूटे हुए बांध को नक्शे से किया गायब-कलेक्टर से की शिकायत।

बैतूल। बैतूल तहसील के ग्राम नाहिया निवासी सुयश पंडाग्रे ने भूतपूर्व सरपंच और उसके रिश्तेदारों पर शासकीय भूमि के आवंटित किए गए पट्टे की जमीन का निजीकरण किए जाने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर से की है। आवेदक का आरोप है कि शासकिय भूमि जिस पर पट्टे आवंटित भी हैं जिनका अनावेदकों द्वारा ऑनलाइन निजीकरण कर रकबा और नक्शा बढाकर लगभग 35 साल से बसे मेहरा समाज के मकानों को हटवाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। आवेदक ने बताया कि उक्त शासकीय भूमि पर पूर्व में बांध बना था, जो कुछ ही समय में टूट गया। राजस्व के नक्शे में अनावेदक की जमीन दर्शाई जा रही और टुटे हुए सरकारी बांध को उस स्थान से गायब ही कर दिया गया, जबकि शासकीय बांध के साक्ष्य बांध की दीवार एवं जहां से बांध टुटा हुआ है के साक्ष्य आज भी उपलब्ध है। आवेदक ने उक्त जमीन तथा बांध की जांच कर अनावेदकों  हरिराम पिता लच्छू झपटे, लखन पिता डोमा धाकड़, अभिषेक पिता हरिशंकर झपटे, आशीष पिता हरिशंकर झपटे, सुनीता पति हरिशंकर झपटे सभी निवासी ग्राम नाहिया तहसील बैतूल के विरुद्ध उचित दंडात्मक कार्रवाई किए जाने की मांग की है। 

–सन 1980 में पंचायत के माध्यम से शासकीय भूमि पर बना था बांध—

शिकायतकर्ता ने बताया कि भूतपूर्व सरपंच लखनलाल वल्द डोमा जाति किराड़ द्वारा लगभग सन 1980 में खंडेलवाल स्टोन केशर नाहिया के उत्तर दिशा में शासन द्वारा पंचायत के माध्यम से शासकीय भूमि पर शासकीय बांध बनाया था, जो कि सूखी धूल मिट्टी मुरूम से बनने से बारिश के पहले ही पानी से टूट गया। उस बांध के टूटने, बहने पर सरपंच पर रिकवरी भी निकली थी और लगभग 10 वर्षों तक केस भी चला था। उस बांध के टूटने  को लगभग 45 वर्ष हो चुके है और बांध के डुब सीमा क्षेत्र में 30-35 वर्षों से मकान बने हुए है। जिसमे लगभग 15 लोगों के मकान बने हुए है और ग्राम पंचायत नाहिया द्वारा मकान बनने के पश्चात उक्त भूमि के पट्टे भी वितरित किये गये। अनावेदक भूतपूर्व सरपंच एवं उसके रिश्तेदार उस बांध डूब क्षेत्र की भूमि को अपनी निजी भूमि बता रहे है एवं अनावेदक हरिराम पिता लच्छू ने आवेदक के पिता प्रेम पंडाग्रे एवं लक्ष्मण झाडे मनीष भालेकर, संतोष भालेकर, रामदास अडभूते के नामे से कब्जाधारियों को बैतूल न्यायालय नायब तहसीलदार द्वारा कोर्ट से नोटिस भी दिये गये थे। जिस पर  मुकदमा चलता रहा। अनावेदक से अपनी जमीन होने का अपनी जमीन का सीमांकन कर खसरा, नक्शा पेश करने के लिए कहा था, लेकिन अनावेदक 21 सितंबर 2022 से न तो खुद पेशी पर पेश आए और न ही अपनी जमीन होने के साक्ष्य पेश किये। परिणाम स्वरूप न्यायालय ने धारा 250 के तहत प्रकरण प्रचलन योग्य नहीं पाये जाने के कारण प्रकरण समाप्त कर दिया गया।

-राजस्व कर्मचारियों से सांठ-गांठ के आरोप—

शिकायतकर्ता ने बताया कि अनावेदक ने राजस्व कर्मचारियों से सांठ-गांठ कर खसरा नं. 106 ऑनलाईन अपनी जमीन का फर्जी रकबा और नक्शा बढा लिया है। राजस्व के नक्शे में अनावेदक की जमीन दर्शाई जा रही और टुटे हुए सरकारी बांध को उस स्थान से गायब ही कर दिया गया, जबकि शासकीय बांध के साक्ष्य बांध की दीवार एवं जहां से बांध टुटा हुआ है के साक्ष्य आज भी उपलब्ध है। वहीं आवेदकों को जातिगत गाली गलौच कर जान से मारने की धमकी देने  दी और खापा लोहार कांड के तरह घटना को अंजाम देने की शिकायत की है। पुलिस और पटवारी और वर्तमान सरपंच को बुलवाकर फर्जी नक्सा, रकबा दिखाकर आवेदकों पर दबाव बना रहे है। अनावेदक भूतपूर्व सरपंच पर लगभग 8 से 10 वर्ष तक मुकदमा चलता रहा और उसकी रिकवरी भी भरी गई। यदि जमीन अनावेदकों की थी तो बाँध फुटने के बाद उस पर अपना कब्जा करना था। और आवेदकों को मकान बनाने से उसी समय रोकना था। शासन से आपत्ती लगवाना था।
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