वक़्फ़ उम्मीद पोर्टल” गैरकानूनी और न्यायालय की अवमानना: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

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वक़्फ़ उम्मीद पोर्टल” गैरकानूनी और न्यायालय की अवमानना: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

✍️ मोहम्मद उवैस रहमानी

सरकार द्वारा 6 जून से प्रस्तावित “वक़्फ़ उम्मीद पोर्टल” की शुरुआत को लेकर देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस पहल को “गैरकानूनी और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना” करार दिया है। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक प्रेस नोट जारी कर सरकार की नीयत और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

*मौलाना रहमानी ने स्पष्ट कहा* कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत “वक़्फ़ 2025 कानून” इस समय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, और इसे मुस्लिम संगठनों के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यक समुदायों, विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों द्वारा भी अस्वीकार्य ठहराया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस विवादास्पद कानून के आधार पर “वक़्फ़ उम्मीद पोर्टल” शुरू कर वक़्फ़ संपत्तियों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाना चाह रही है, जो एकतरफा और असंवैधानिक कदम है।

*बोर्ड का कहना है* कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस कानून की वैधता पर निर्णय नहीं देता, तब तक किसी भी तरह की जबरन पंजीकरण प्रक्रिया न्यायिक प्रक्रिया का अपमान है। मौलाना रहमानी ने सभी वक़्फ़ बोर्डों और मुतवल्लियों (प्रबंधकों) से अपील की है कि वे इस पोर्टल पर संपत्तियों का पंजीकरण न कराएं और अपनी आपत्तियाँ स्मारक-पत्र (मेमोरेंडम) के माध्यम से संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाएं।

*AIMPLB* ने यह भी घोषणा की है कि वह इस मुद्दे को लेकर शीघ्र ही अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।

*यह मुद्दा* न केवल धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा है, बल्कि भारत के संवैधानिक ढांचे और न्यायिक प्रणाली पर भरोसे की परीक्षा भी बनता जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताओं को दरकिनार करते हुए एकतरफा निर्णय लिए जाने पर देश में असंतोष की लहर फैल रही है।

     *मोहम्मद उवैस रहमानी* 

            प्रधान संपादक 

RH NEWS 24&अख़बार रुखसार ए हिन्द*

 

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