
नागपंचमी का बौद्ध धर्म में विशेष महत्व नागपंचमी के दीन नाग राजाओं की पुजा प्रति सम्मान सुरक्षा का प्रतीक है।
नागपंचमी का बौद्ध धर्म में विशेष महत्व
नागपंचमी के दीन नाग राजाओं की पुजा प्रति सम्मान सुरक्षा का प्रतीक है।
नागपंचमी खुशी और पवित्र त्यौहार है नाग वंश के प्रमुख वासुकी, तक्षक,मुचलिंद आदि राजाओं की याद में मनाते है। बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है। खासकर नाग मुचलिंद नागों का राजा था सिध्दार्थ गौतम की बुद्ध प्राप्ति के दौरान तपस्या के समय नाग राजा मुचलिंद ने निस्वार्थ बरसात की आंधी तुफान से रक्षा की थी।सावन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाला नागपंचमी नागों के प्रति सम्मान और सुरक्षा का प्रतीक है। बौद्ध धर्म में नागों को अर्ध दिव्य प्राणी माना जाता है। जो नागलोग में रहते हैं। बुद्ध धर्म में रक्षक और धम्म संरक्षक रुप देखा गया है। नागपंचमी पर नागों को दुग्ध चढ़ाने नारियल मीठा भोग से पुजा पाठ करने के पश्चात घर में गुंजा पपड़ी बनाने की परम्परा चली आ रही है।
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