
करुणा और मेत्री भाव पैदा करने के लिए और राग द्वेष बाहर निकालने के लिए वर्षावास करें ।
*वर्षावास विशेष*
करुणा और मेत्री भाव पैदा करने के लिए और राग द्वेष बाहर निकालने के लिए वर्षावास करें ।
सारनी त्रिरत्न बुद्ध विहार में आम्बेडकरी बुद्ध उपासक उपासिकाओ द्वारा रत्न बौद्धी भंते की अगुवाई में गुरु पूर्णिमा से तीन महीने का वर्षावास शुरू हुआ।वर्षों से वर्षावास करके, सैकड़ों बार तथागत बुद्ध की शिक्षाओं से भरपूर ग्रंथों को पढ़कर भी यदि आप के मन में करुणा नहीं, विरोधी अथवा शत्रु के प्रति मैत्री भाव नहीं, व्यक्ति विशेष से द्वेष है, अहंकार आप पर हावी है आप किसी, निजी हित के मोह में आप औरों को हानी पहुंचा रहे हो। कुल मिलाकर काया, वाचा और मन से आप हिंसक है, आपका मन परिवर्तन नहीं हुआ राग, द्वेष मोह ओर हिंसा से भरा है अर्थात आपने ‘बुध्द और उनका धम्म’ अथवा कोई भी महान ग्रंथ पढ़ लिया हो आपने ढोंग किया है दुसरो का ओर अपना समय बर्बाद किया है, क्योंकि जिस तथागत बुद्ध की शिक्षाओं ने दूषित मन से भरे देवदत्त (प्रतिद्वंद्वी), हिंसा का पर्याय बन चुके अहिंसक अर्थात अंगुलीमाल(डाकु), मदमस्त नालागिर गज (जानवर), कुंठित मन की चिंचा, के मन परिवर्तन में तनिक समय नहीं लिया, उस ज्ञान को ईमानदारी पूर्वक सुनने, सुनाने व गृहन करने व कराने से किसी का मन परिवर्तन न हो ऐसा संभव ही नहीं है,आप ऐसा करने में असफल है तो आप कुछ ग़लत कर रहे हैं ।अतः इस वर्षवास में 3 माह चलने वाले धम्म श्रवण, प्रवचन कार्यक्रम में श्रावक तथा प्रवाचक ईमानदारी पूर्वक धम्म का श्रवण करें तथा प्रवाचक ईमानदारी पूर्वक धम्म का प्रवचन कर वर्षों से चली आ रही इस परंपरा की पवित्रता को बनाए रखेंगे ऐसी आकांक्षा है।दिखावे के लिए धम्म नहीं है, स्वयं को छोड़ दुसरो को बदलने के लिए धम्म नहीं है, धम्म तो कहता है ‘अत्त दिप भव” स्वयं प्रकाशित हो, स्वंय बदलों दुसरो को बदलने पर जोर देने से ज्यादा जरूरी हैं स्वयं का बदलाव क्योंकि आप बदलेंगे तो आपका परिवार बदलेगा, आपका परिवार बदलेगा तो आपका नगर/बस्ती/मोहल्ला बदलेगा , और अतगत्वा समाज बदलेगा। उम्मीद है इस बार दिखावे की जगह परिवर्तन पर काम होगा , ग्रंथ आप अपने घर में अकेले पढ़ें या विहार में भीड़ के साथ। अपने आप को बदलने की जिम्मेदारी केवल आपकी है किसी ओर की नहीं।क्योंकि आप बदलेंगे तभी समाज बदलेगा।